नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पूरी दुनिया को चौंका दिया और चीन को सहमा दिया है। दुनिया इसलिए हतप्रभ हुई कि अचानक मोदी लेह पहुंच गए। चीन इसलिए बौखलाया है कि मोदी ने संकेतों में चीन को विस्तारवादी करार दे दिया। चौतरफा घिरा चीन का इस तमगे के साथ जीना और मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि भारत की एक जिम्मेदार देश है और उसकी बात का पूरी दुनिया में प्रभाव होता है।
शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को लेह जाना था।
Bravery is the precondition for peace: Modi in Leh, world shocked, China upset
अचानक सुबह लोगों ने टीवी और सोशल मीडिया पर देखा कि मोदी लेह में सैनिकों का मनोबल बढ़ा रहे हैं।
समझा जाता है कि यह कारनामा इन दिनों चुप्पी ओढे़ एनएसए अजित डोभाल का है कि मोदी अचानक लेह पहुंचे।
चीन सहित पूरी दुनिया ने इसे नोट किया।
1971 में भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लेह में सैनिकों को संबोधित किया था।
तब इंदिरा गांधी अपना मन बना चुकी थीं और उन्होंने पाकिस्तान को विभाजित करने का सख्त फैसला कर लिया था।
मोदी नम्र होने के साथ अड़ियल और डटियल भी हैं।
उनका ऐसी तनातनी के मौके पर स्वयं लेह जाना बहुत कुछ कहता है।
चीन की चाल है कि वह पड़ोसियों की 4 किमी जमीन कब्जाता है और फिर समझौते में दो किमी पीछे हटता है।
किंतु इस बार चीन की दाल नहीं गलेगी।
लेह जाना चीन की आंखों में आंखें डालकर बात करने जैसा है।
मोदी बोले, शांति निर्बल कभी नहीं ला सकते। कमजोर शांति की पहल नहीं कर सकते। वीरता ही शांति की पूर्व शर्त होती है।
यह चीन को खुला चेलैंज है कि मन में निबटने की तमन्ना हो, तो आ जाओ मैदान में।
यह संकल्प बताता है कि पैंगोंग त्से झील हो या गलवान, चीन को यथास्थिति बहाल करनी ही होगी।
मोदी के चीन जाने से पाकिस्तान की हालत तो इतनी पतली हो गई कि कमर बाजवा, वहां सेना के तीनों अंगों, आईएसआई की हाई लेवल बैठक तक बुलानी पड़ गई।
विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रंृगला ने कई मित्र देशों के राजदूतों को हालात की ब्रीफिंग दी।
दुनिया के कई कद्दावर देशों के बाद जापान के राजदूत ने भारत को स्पष्ट समर्थन व्यक्त किया।
मोदी ने सैनिकों में इस तरह प्राण फूंकें
मोदी सैनिकों से बोले, आपका ये हौसला, आपका शौर्य, और मां भारती के मान-सम्मान की रक्षा के लिए आपका समर्पण अतुलनीय है।
आपकी जीवटता भी दुनिया में किसी से भी कम नहीं है।
जिन कठिन परिस्थितियों में, जिस ऊंचाई पर आप मां भारती की ढाल बन करके उसकी रक्षा करते हैं, उसकी सेवा करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता।
आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है, जहां आप तैनात हैं।
आपका निश्चय उस घाटी से भी सख्त है, जिसको रोज आप अपने कदमों से नापते हैं।
आपकी भुजाएं उन चट्टानों जैसी मजबूत हैं, जो आपके इर्द-गिर्द खड़ी हैं।
आपकी इच्छाशक्ति आसपास के पर्वतों जितनी अटल है।
आज आपके बीच आकर मैं इसे महसूस कर रहा हूं।
साक्षात अपनी आंखों से इसे देख रहा हूं।
जब देश की रक्षा आपके हाथों में है, आपके मजबूत इरादों में है, तो एक अटूट विश्वास है।
सिर्फ मुझे नहीं, पूरे देश को अटूट विश्वास है और देश निश्चिंत भी है।
आप जब सरहद पर डटे हैं, तो यही बात प्रत्येक देशवासी को देश के लिए दिन-रात काम करने के लिए प्रेरित करती है।
आत्मनिर्भर भारत का संकल्प आप लोगों के कारण, आपके त्याग, बलिदान, पुरुषार्थ के कारण और मजबूत होता है।
और अभी जो आपने और आपके साथियों ने वीरता दिखाई है, उसने पूरी दुनिया में ये संदेश दिया है कि भारत की ताकत क्या है।
अभी मेरे सामने महिला फौजियों को भी देख रहा हूं। युद्ध के मैदान में, सीमा पर ये दृश्य अपने-आपको प्रेरणा देता है।
साथियों, राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने लिखा था-
जिनके सिंहनाद से सहमी। धरती रही अभी तक डोल।।
कलम, आज उनकी जय बोल। कलम आज उनकी जय बोल।।
तो मैं, आज अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं।
मैं गलवान घाटी में शहीद हुए अपने वीर जवानों को भी पुनरू श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
इनमें पूरब से, पश्चिम से, उत्तर से, दक्षिण से, देश के हर कोने के वीर अपना शौर्य दिखाते थे।
उनके पराक्रम, उनके सिंहनाद से धरती अब भी उनका जयकारा कर रही है।
आज हर देशवासी का सिर आपके सामने, अपने देश के वीर सैनिकों के सामने आदरपूर्वक नतमस्तक हो करके नमन करता है।
आज हर भारतीय की छाती आपकी वीरता और पराक्रम से फूली हुई है।
सिंधु के आर्शीवाद से ये धरती पुण्य हुई है।
वीर सपूतों के शौर्य और पराक्रम की गाथाओं को ये धरती अपने-आप में समेटे हुए है।
लेह-लद्दाख से लेकर करगिल और सियाचिन तक, रिजांगला की बर्फीली चोटियों से लेकर गलवान घाटी के ठंडे पानी की धारा तक, हर चोटी,
हर पहाड़, हर जर्रा-जर्रा, हर कंकड़-पत्थर भारतीय सैनिकों के पराक्रम की गवाही देते हैं।
14 बवतचे की जांबाजी के किस्से तो हर तरफ हैं। दुनिया ने आपका अदम्य साहस देखा है, जाना है।
आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर में गूंज रही हैं और भारत माता के दुश्मनों ने आपकी fire भी देखी है और आपकी fury भी।
लद्दाख का तो ये पूरा हिस्सा, ये भारत का मस्तक, 130 करोड़ भारतीयों के मान-सम्मान का प्रतीक है।
ये भूमि भारत के लिए सर्वस्व त्याग करने के लिए हमेशा तैयार रहने वाले राष्ट्रभक्तों की धरती है।
इस धरती ने कुशॉकबकुला रिनपोंछे जैसे महान राष्ट्रभक्त देश को दिए हैं।
ये रिनपोंछे जी ही हैं, उन्हीं के कारण जिन्होंने दुश्मन के नापाक इरादों में स्थानीय लोगों को लामबंद किया।
रिनपोंछे की अगुवाई में यहां अलगाव पैदा करने की हर साजिश को लद्दाख की राष्ट्रभक्त जनता ने नाकाम किया है।
ये उन्हीं के प्रेरक प्रयासों का परिणाम था कि देश को, भारतीय सेना को लद्दाख स्काउट नाम से प्दंिदजतल तमहपउमदज बनाने की प्रेरणा मिली।
आज लद्दाख के लोग हर स्तर पर- चाहे वो सेना हो या सामान्य नागरिक के कर्तव्य हों, राष्ट्र को सशक्त करने के लिए अद्भुत योगदान दे रहे हैं।
साथियों, हमारे यहां कहा जाता है-
खड्गेन आक्रम्य भुंजीत:, वीर भोग्या वसुंधरा
यानी वीर अपने शस्त्र की ताकत से ही धरती की मातृभूमि की रक्षा करते हैं।
ये धरती वीर-भोग्या है, वीरों के लिए है।
इसकी रक्षा-सुरक्षा को हमारा समर्थन और सामर्थ्य, हमारा संकल्प हिमालय जितना ही ऊंचा है।
ये सामर्थ्य और ये संकल्प, इस समय आपकी आंखों में मैं देख सकता हूं।
आपके चेहरों पर ये साफ-साफ नजर आता है।
आप उसी धरती के वीर हैं, जिसने हजारों वर्षों से अनेक आक्रांताओं के हमलोंका, अत्याचारों का मुंहतोड़ जवाब दिया है।
हम, और ये हमारी पहचान है, हम वो लोग हैं जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं।
हम वही लोग हैं जो सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण को भी आदर्श मान करके चलते हैं।
इसी प्रेरणा से हर आक्रमण के बाद भारत और सशक्त होकर उभरा है।
राष्ट्र की, दुनिया की, मानवता की प्रगति के लिए शांति और मित्रता हर कोई स्वीकार करता है, हर कोई मानता है बहुत जरूरी है।
लेकिन हम ये भी जानते हैं कि शांति निर्बल कभी नहीं ला सकते।
कमजोर शांति की पहल नहीं कर सकते।
वीरता ही शांति की पूर्व शर्त होती है।
भारत आज जल, थल, नभ और अंतरिक्ष तक अगर अपनी ताकत बढ़ा रहा है, तो उसके पीछे का लक्ष्य मानव कल्याण ही है।
भारत आज आधुनिक अस्त्रदृशस्त्र का निर्माण कर रहा है।
दुनिया की आधुनिक से आधुनिक तकनीक भारत की सेना के लिए ला रहे हैं, तो उसके पीछे की भावना भी यही है।
भारत अगर आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण तेजी से कर रहा है, तो उसके पीछे का संदेश भी यही है।
विश्वयुद्ध को अगर हम याद करें, विश्व युद्ध हो या फिर शांति की बात- जब भी जरूरत पड़ी है।
विश्व ने हमारे वीरों का पराक्रम भी देखा है और विश्व शांति के उनके प्रयासों को महसूस भी किया है।
हमने हमेशा मानवता की, इंसानियत की रक्षा और सुरक्षा के लिए काम किया है, जीवन खपाया है।
आप सभी भारत के इसी लक्ष्य को, भारत की इसी परंपरा को, भारत की इस महिमहान संस्कृति को स्थापित करने वाले अगुवा लीडर हैं।
महान संत तिरूवल्लुवर जी ने सैकड़ांे वर्ष पूर्व कहा था-
मरमानम मांड वडिच्चेलव् तेट्रम, येना नान्गे येमम पडईक्कु
यानी शौर्य, सम्मान, मर्यादापूर्ण व्यवहार की परम्परा और विश्वसनीयता, ये चार गुण किसी भी देश की सेना का प्रतिबिम्ब होते हैं।
भारतीय सेनाएं हमेशा से इसी मार्ग पर चली हैं।
विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है, ये युग विकासवाद का है।
तेजी से बदलते हुए समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है।
विकासवाद के लिए ही अवसर हैं और विकासवाद ही भविष्य का आधार भी है।
बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने ही मानवता का सबसे ज्यादा अहित किया, मानवता को विनाश करने का प्रयास किया।
विस्तारवाद की जिद जब किसी पर सवार हुई है, उसने हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा किया है।
ये न भूलें, इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें मिट गई हैं या मुड़ने के लिए मजबूर हो गई हैं।
विश्व का हमेशा यही अनुभव रहा है और इसी अनुभव के आधार पर अब इस बार फिर से पूरे विश्व ने विस्तारवाद के खिलाफ मन बना लिया है।
आज विश्व विकासवाद को समर्पित है और विकास की खुली स्पर्धा का स्वागत कर रहा है।
जब-जब मैं राष्ट्र रक्षा से जुड़े किसी निर्णय के बारे में सोचता हूं तो मैं सबसे पहले दो माताओं का स्मरण करता हूं- पहली हम सभी की
भारतमाता, और दूसरी वे वीर माताएं, जिन्होंने आप जैसे पराक्रमी यौद्धाओं को जन्म दिया है, मैं उन दो माताओं को स्मरण करता हूं।
मेरे निर्णय की कसौटी यही है।
इसी कसौटी पर चलते हुए आपके सम्मान, आपके परिवार के सम्मान और भारत माता की सुरक्षा को देश सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
सेनाओं के लिए आधुनिक हथियार हों या आपके लिए जरूरी साजो-सामान, इन सभी पर हम बहुत ध्यान देते रहे हैं।
अब देश में बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करीब-करीब तीन गुना कर दिया गया है।
इससे बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट और सीमा पर सड़कें, पुल बनाने का काम भी बहुत तेजी से हुआ है।
इसका एक बहुत बड़ा लाभ ये भी हुआ है कि अब आप तक सामान भी कम समय में पहुंचता है।
सेनाओं में बेहतर समन्वय के लिए लंबे समय से जिसकी आशा थी- वो Chief of Defense पद का गठन करने की बात हो या फिर National War Memorial का निर्माण; One rank one pension का फैसला हो या फिर आपके परिवार की देखरेख से लेकर शिक्षा तक की सही व्यवस्था के लिए लगातार काम, देश आज हर स्तर पर अपनी सेनाओं और सैनिकों को मजबूत कर रहा है।
भगवान गौतम बुद्ध ने कहा है-
साहस का संबंध प्रतिबद्धता से है, conviction से है। साहस करुणा है, साहस compassion है।
साहस वो है जो हमें निर्भीक और अडिग होकर सत्य के पक्ष में खड़े होना सिखाए।
साहस वो है, जो हमें सही को सही कहने और करने की ऊर्जा देता है।
देश के वीर सपूतों ने गलवान घाटी में जो अदम्य साहस दिखाया, वो पराक्रम की पराकाष्ठा है।
देश को आप पर गर्व है, आप पर नाज है।
आपके साथ ही हमारे आईटीबीपी के जवान हों, बीएसएफ के साथी हों, हमारे बीआरओ और दूसरे संगठनों के जवान हों, मुश्किल हालात में काम कर रहे इंजीनियर हों, श्रमिक हों, आप सभी अद्भुत काम कर रहे हैं।
हर कोई कंधे से कंधा मिलाकर मां भारती की रक्षा के लिए, मां भारती की सेवा में समर्पित है।
आज आप सभी की मेहनत से देश अनेक आपदाओं से एक साथ और पूरी दृढ़ता से लड़ रहा है।
आप सभी से प्रेरणा लेते हुए हम मिलकर हर चुनौती पर, मुश्किल से मुश्किल चुनौती पर विजय प्राप्त करते रहें हैं, विजय प्राप्त करते रहेंगे।
जिस भारत के सामने, और हम सबने जिस भारत के सपने को लेकर, और विशेष रूप से आप सब सरहद पर देश की रक्षा कर रहे हैं, हम उस सपने का भारत बनाएंगे।
आपके सपनों का भारत बनाएंगे।
130 करोड़ देशवासी भी पीछे नहीं रहेंगे, ये मैं आज आपको विश्वास दिलाने आया हूं।
हम एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत बनाएंगे, बना करके ही रहेंगे।
और आपसे प्रेरणा जब मिलती है तो आत्मनिर्भर भारत का संकल्प भी और ताकतवर हो जाता है।